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कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच अब अहम की लड़ाई शुरू हो गई है. सरकार इन कानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है और किसान हर हाल में इन कानूनों को वापस लेने पर अड़ा हुआ है.

कई दौर की बातचीत के बाद भी अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है. लाखों की संख्या में किसान सड़कों पर है और अपनी मांगों को लेकर लगातार संघर्ष कर रहा है.

इसी बीच आज भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने एलान कर दिया कि किसान वापस नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि अब किसान के मान-सम्मान का सवाल है. सरकार कानून वापस नहीं लेगी, तानाशाही होगी. अगर सरकार हठधर्मी पर है तो किसान भी हठ है. ये पूरे देश के किसानों का सवाल है.

टिकैत ने कहा कि सरकार ने सिर्फ संशोधन का प्रस्ताव भेजा है जो किसानों को मंजूर नहीं है. दिल्ली से सटे सिंधू बॉर्डर पर किसान संगठनों के नेताओं की मीटिंग चल रही है. इस मीटिंग में आगे की रणनीति को लेकर भी चर्चा हो रही है.

बता दें कि कल शाम गृहमंत्री अमित शाह और किसानों के बीच एक विशेष बैठक भी हो चुकी है. हालांकि उस बैठक का भी कोई नतीजा नहीं निकला था. अब देखना ये है कि किसान आगे किस रणनीति पर काम करता है और सरकार उसे कैसे समझा पाती है.

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