सऊदी अरब और ईरान के बीच दुश्मनी किसी से छिपी नहीं है. दोनों देशों के बीच दुश्मनी की एक बड़ी वजह इस्लामी भी है. सऊदी अरब वहाबी विचार धारा का समर्थक है और ईरान शिया विचारधारा का. दोनों देश दुनिया में खुद को इस्लाम का ठेकेदार बताते हैं. दोनों देशों के बीच दुश्मनी की दूसरी बड़ी वजह है तेल.

सऊदी और ईरान दोनों अपना अपना तेल दुनिया में ज्यादा से ज्यादा बेचना चाहते हैं. हाल में दोनों देशों के बीच तनातनी तब बढ़ गई जब सऊदी की सबसे तेल कंपनी आरामको पर ड्रोन अटैक हो गया. सऊदी ने इस हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि इसकी जिम्मेदारी यमन के हूती विद्रोही ने ली थी.

 

ईरान ने सऊदी को जवाब देते हुए कहा कि अगर हम ऐसा करते तो पूरी तेल कंपनी ही तबाह हो जाती. अब सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा है कि अगर ईरान को रोकने के लिए दुनिया के तमाम देश उसके साथ नहीं आए तो तेल की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि होगी.

अमरीकी टीवी चैनल सीबीएस के कार्यक्रम में सलमान ने कहा कि अगर ईरान और सऊदी के बीच तनाव बढ़ा तो उसका असर दुनिया भर की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया की तेल आपूर्ती का तीस फीसदी, व्यापार का बीस फीसदी और दुनिया की जीडीपी का चार फीसदी योगदान मध्य पूर्व इलाके से आता है.

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