दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिती भयावह होती जा रही है. हालात ये हैं दिनभर इतनी धुध छाई रहती है कि सूरज की रोशनी जमीन पर नहीं आ पा रही है. लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही है. दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी का एलान करा दिया गया है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज से दिल्ली में ऑड-इवन फार्मूला भी लागू कर दिया है. देश की राजधानी में बढ़ते प्रदूषण पर देश की सर्वोच्य अदालत ने चिंता जता दी है. शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों को कड़ी फटकार लगाई है. सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि लोगों से जीने का अधिकार छीना जा रहा है और केंद्र व राज्य सरकारें एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराने में जुटी हैं.

अदालत ने कहा कि हम कीमती जीवन खोते जा रहे हैं. हम हमेशा आदेश जारी करते हैं. ऐसे वातावरण में कोई कैसे सर्वाइव करेगा. हमें इस मुद्दे पर लंबे वक्त तक चलने वाले उपाय अपनाने होंगे. पंजाब हरियाणा आदि में पराली जलाने के कारण क्या हैं? अगर पराली जलाने पर रोक है तो दोनों सरकारें (केंद्र और राज्य सरकार) भी जिम्मेदार हैं.

ग्राम पंचायत, सरपंच क्या कर रहे हैं?  हमें जानना है कि पंजाब और हरियाणा में कौन पराली जला रहे हैं? हम ऐसे ही बैठे नहीं रह सकते. हमें कदम उठाने होंगे. ग्राम सरपंचों को जानकारी होगी. इसके अलावा को’र्ट ने कहा कि पराली जलाने से रोकना होगा. आगे कोई भी उल्लंघन हुआ तो हम प्रशासन पर नीचे से ऊपर तक शिकंजा कसेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर साल दिल्ली चोक हो जाती है और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं. लोगों को जीने का अधिकार है. एक पराली जलाता है और दूसरे के जीने के अधिकार का उल्लंघन करता है. केंद्र और दिल्ली सरकार एक दूसरे पर जिम्मा थोंप रही है. अब केंद्र करे या फिर दिल्ली सरकार हमें इससे मतलब नहीं.

साथ ही कोर्ट ने कहा कि क्या बच्चे, क्या बूढ़े और क्या ही जवान सब बीमार हो रहे हैं. आखिर किसान पराली क्यों जलाते हैं? जुर्माना भी तय किया गया है तो फिर कैसे पराली जलाई जा रही हैं? सरकारें क्या कर रही हैं? सभ्य देश में ऐसा नहीं हो सकता. इस देश में दुख की बात है, लोग केवल नौटंकी में रुचि रखते हैं. ऐसा हर साल हो रहा है.

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