दुनिया में सबसे प्राचीन लोकतांत्रिक देश में आज जनता अपने नए राष्ट्रपति का चुनावकरने जा रही है, अमेरिका में भारतीय समयानुसार शाम करीब 4 बजकर 30 मिनट बजे मतदान की प्रक्रिया शुरु होगी. मतदान को लेकर आम लोगों में इस प्रकार का उत्साह देखने को मिल रहा है कि अब तक 55 फीसदी यानि 9 करोड़ वोटर मतदान कर चुके हैं.
रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवारों डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडेन के बीच कड़े मुकाबले के आसाद देखा जा रहा है. अमेरिका चुनाव की सबसे खास बात ये है कि इसमें उम्मीदवार ज्यादा वोट पाकर भी चुनाव हार जाते हैं. आईए जानते हैं कि कैसे चुनाव होता है अमेरिका के राष्ट्रपति का…
अमेरिका में हर 4 साल के भीतर राष्ट्रपति पद का चुनाव किया जाता है, चुनाव नवंबर के पहले सोमवार के बाद आने वाले मंगलवार के बीच में होता है अमेरिका में दो पार्टी सिस्टम है और राष्ट्रपति इन्हीं दो पार्टियों में से एक का होता है. रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी है.
अमेरिकी संविधान के मुताबिक अमेरिका में स्वाभाविक रुप से जन्म लेना कोई भी मागरिक जिसकी उम्र 35 साल हो गई है. और वह 14 साल से अमेरिका का नागरिक है तो वह चुनाव लड़ सकता है. संघीय चुनाव के मुताबिक इस साल 1000 से ज्यादा लोगों ने अमेरिका में चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी, ये है डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडेन..
अमेरिका में जिस उम्मीदवार को ज्यादा वोट मिलते हैं उसकी जीत तय हो ये भी तय नहीं होता. इसका सटीक उदारण हमें साल 2016 के चुनावों में भी देखने को मिला. इस दौरान हिलेरी क्लिंटन ज्यादा वोट पाने के बाद भी हार गई थी. दरअसल उम्मीदवार इलेक्टोरल कालेज के वोटों को जीतने की कोशिश करते हैं.
हर स्टेट को आबादी के आधार पर इलेक्टोरल कालेज मिलता है इनकी कुल संख्या 538 होती है. और जीतने वाले कैंडीडेट को 270 या उससे ज्यादा वोट प्राप्त करने होते हैं. यानी की जब लोग वोट ड़ालते हैं तो वो देश का राष्ट्रपति नहीं अपने स्टेट का प्रतिनिधि चुन रहे होते हैं.
ऐसे तो देश में ज्यादातर वोट पोलिंग स्टेशन पर पड़ते हैं लेकिन इस साल कोरोना के चलते इस में बदलाव देखने को मिल सकता है साल 2016 के चुनाव में 21 प्रतिशत वोटरों ने पोस्ट से वोट डाला था इस बार भी ऐसा कुछ देखने को मिल सकता है.
ज्यादातर नेता पोस्टल बैलेट के इस्तेमाल की बात कर रहे हैं लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि इससे फ्राड की संभावना ज्यादा है. आमतौर पर वोटों को गिनने में कई दिन लग जाते हैं लेकिन कौन जीतेगा इसका अंदाजा चुनाव के अगले ही दिन लग जाता है. लेकिन इस बार करोना के चलते देरी भी हो सकती है.