मौसम अब करवट ले रहा है. धीरे-धीरे गुलाबी ठंड का एहसास होने लगा है. सुबह और दिन ढलने के बाद हल्की ठंड महसूस की जा रही है. बुजुर्गों ने सुबह-शाम गरम कपड़े पहनने भी शुरू कर दिए हैं. मौसम में अब काफी बदलाव देखा जा रहा है. घरों व दफ्तरों में एसी-कूलर बंद हो गए हैं. पंखे भी धीमे चलने लगे हैं.

न्यूनतम तापमान लुढ़क गया है. दिन में अधिकतम तापमान 34 डिग्री तक जा रहा है. वहीं मौसम के जानकारों का कहना है कि इस बार सर्दी कड़ाके की होगी.

भारतीय मौसम विभाग के प्रमुख ने कहा है कि इस साल ठंड सामान्य से ज्यादा होगी. इसकी वजह उन्होंने ला नीना को बताया है. ला नीना की स्थिति में हवा प्रशांत महासागर के गर्म सतही पानी को, महासागर के सतह पर पश्चिम की ओर, दक्षिण अमेरिका से इंडोनेशिया की ओर ले जाती है. जब गर्म पानी आगे बढ़ता है, तो ठंडा पानी ऊपर सतह पर आ जाता है. जिसके चलते पूर्वी प्रशांत में पानी सामान्य से ज्यादा ठंडा हो जाता है.

जलवायु के हिसाब से ला नीना वाले साल में सर्दियों में हवाएं काफी तेज चलती हैं. जिस वजह से भू-मध्य रेखा के पास का पानी, सामान्य से कुछ डिग्री ज्यादा ठंडा हो जाता है. महासागर के तापमान में ये बदलाव दुनियाभर के मौसम पर प्रभाव डालता है.

जेएनयू के प्रोफ़ेसर एपी डिमरी का कहना है कि ला नीना के असर से पूरे सीजन में तापमान गिरने की बजाय. रुक-रुक कर बेहद ठंडे मौसम की लहरें आएंगी.

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