मौसम करवट ले रहा है और लोगों को अब गुलाबी ठंडक का एहसास होने लगा है. इस बीच मौसम विभाग ने बताया है कि इस साल कड़ाके की सर्दी पड़ने वाली है. ऐसा ला नीना की स्थिति के चलते होगा. मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय मोहपात्रा के मुताबिक यदि शीत लहर की स्थिति के लिए बड़ी वजहों पर विचार करें तो अल नीना और ला नीना की बड़ी भूमिका होती है.

एक वेबिनार में मोहपात्रा ने कहा कि यह नहीं समझना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन से तापमान में बढ़ोतरी होती है. सच्चाई यह है कि तापमान में बढ़ोतरी की वजह से मौसम अनियमित हो जाता है.

उन्होंने बताया कि शीत लहर की स्थिति के लिए ला नीना अनुकूल होता है, जबकि अल नीनो की स्थिति इसके लिए सहायक नहीं होती. ला नीना प्रशांत महासागर में सतह के जल के ठंडा होने से जुड़ा हुआ है, जबकि अल नीनो इसकी गर्मी से जुड़ा हुआ है. माना जाता है कि इन दोनों कारकों का भारतीय मानसून पर भी असर रहता है.

ला नीना और अल नीना एक समुद्री प्रक्रिया है. ला नीना में समुद्र में पानी ठंडा होना शुरू हो जाता है. समुद्री पानी पहले से ही ठंडा होता है, पर इसकी वजह से उसमें ठंडक बढ़ती है. जिसका असर हवाओं पर भी होता है. अल नीनो में इसके विपरीत होता है यानि समुद्र का पानी गरम होता है.

जिसका असर होता है कि गर्म हवाएं चलने लगती हैं. इन दोनों ही प्रक्रियाओं का असर भारत के मानसून पर सीधे पड़ता है. अल नीनो एक स्पैनिश भाषा का शब्द है. जिसका मतलब है कि इशु शिशु. ला नीना भी स्पैनिश भाषा से है. जिसका अर्थ है छोटी बच्ची.

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