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केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक विरोध जारी है. किसानों के अलावा तमाम विपक्षी दल इन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर सरकार पर हर संभव दबाव बनाने में जुटे हुए हैं. किसानों के मुद्दे पर संसद के बजट सत्र के दौरान भी हंगामा लगातार जारी है.

किसान सड़कों पर डेरा जमाए हुए हैं तो सांसद सदन में हंगामा कर रहे हैं. सरकार कह रही है कि हम सदन के भीतर व बाहर चर्चा को तैयार हैं मगर विपक्षी दल और किसान चर्चा के बजाए इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. बुधवार को भी राज्यसभा में खूब हंगामा हुआ.

सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान भाजपा सांसद भुबनेश्वर कालिता ने किसान आंदोलन को लेकर कहा कि नए कृषि कानूनों के जरिए किसानों के उत्थान का काम किया गया है. इसके बावजूद तमाम विपक्षी दल इस विषय को लेकर संसद की कार्यवाही को बाधित कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है और आगे की बातचीत के लिए रास्ते खुले हुए हैं. सरकार कृषि कानूनों से जुड़े सभी मसलों पर बातचीत और चर्चा के लिए तैयार है.

इसके बाद कालिता ने कहा कि मैं अपने दोस्तों से ये अपील करना चाहता हूं कि इसे एक और शाहीनबाग न बनने दें. सीएए को लेकर भाजपा सांसद ने कहा कि शाहीनबाग आंदोलन के दौरान नोएडा बदरपुर को जोड़ने वाली सड़क दोनों तरफ से बंद थी. उस मसले पर भी काफी विवाद हुआ था.

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