मोदी सरकार में भारतीय रेल बीते 10 सालों में अब तक के सबसे बुरे दौर में पहुंच चुकी है. ये बात हम नहीं कह रहे बल्कि इसका खुलासा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में हुआ है. कैग की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रेलवे की कमाई बीते 10 सालों में अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है.

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे का मुनाफा दो फीसदी से भी कम पर पहुंच चुका है. इसका मतलब ये है कि रेलवे 100 रूपये कमाने के लिए 98 रूपये 44 पैसे खर्च कर दे रहा है. कैग ने रेलवे की खराब हालत के लिए बीते दो सालों आईबीआर-आईएफ के तहत जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल नहीं होना भी बताया है.

ये हालत तब है जब सरकार की ओर से देश में बुलेट ट्रेन के सपने दिखाए जा रहे हैं. रेलवे में निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है. रेलवे स्टेशनों की देखरेख के साथ निजी ट्रेनें भी चलाने की तैयारी की जा रही है. देश की पहली निजी ट्रेन तेजस का शुभारम्भ हो चुका है ये ट्रेन लखनऊ से दिल्ली के बीच चलाई जा रही है. पहले महीने ये ट्रेन मुनाफे में रही.

रेलमंत्री हर साल बजट में किराया और अन्य मदों में पैसे की लगातार बढ़ोत्तरी करने का एलान कर देते हैं. हर बजट में दावा किया जाता है कि रेलवे की हालत ठीक कर दी जाएगी मगर हकीकत इससे कोसो दूर है. रेलवे का एक सच ये भी है कि अधिकांश ट्रेने लेट रहती हैं, जनरल डिब्बों में यात्री भूसे की तरह भरे रहते हैं.

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