एक पुरूष और एक महिला अगर बंद कमरे में पाए जाते हैं तो जरूरी नहीं कि वो अनैतिक संबंधों में लिप्त हों, ये बातें मद्रास हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान की. अदालत ने कहा कि समाज में इस तरह के अनुमान के आधार पर कार्रवाई नहीं कर सकते.

अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार मद्रास हाईकोर्ट का ये फैसला सशस्त्र रिजर्व पुलिस बल के कांस्टेबल से जुड़े एक मामले में आया है. इस मामले में नैतिक मर्यादा के आधार पर कांस्टेबल की सेवा समाप्त कर दी गई थी.

जस्टिस आर सुरेश कुमार ने कांस्टेबल की बर्खास्तगी की दलील को खारिज करते हुए कहा कि समाज में इस तरह के अनुमान के आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं कर सकते और न ही सजा दे सकते हैं.

अदालत ने कहा कि आरोपी कांस्टेबल सरवण बाबू को उनके क्वार्टर के अंदर साल 1998 में एक महिला कांस्टेबल के साथ पाया गया था. हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी कांस्टेबल के खिलाफ इस बात के कोई सबूत या गवाह नहीं मिले हैं कि उस दिन दोनो कांस्टेबल आपत्तिजनक अवस्था में पाए गए थे.

ये था मामला

आरोपी कांस्टेबल सरवण ने बताया कि एक महिला कांस्टेबल अपने घर की चाबी की तलाश में उनके घर आई थी. जब पड़ोसी उनके घर आए तो पाया कि दरवाजे पर ताला लगा हुआ है.

लोगों को लगा कि दोनों अवैध संबंध में लिप्त हैं. सरवण ने कहा कि जब हम दोनों बात कर रहे थे तक किसी ने दरवाजा बंद कर लिया और बाद में दरवाजा खटखटाने का नाटक किया.

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