टीकाकरण अभियान के आगाज के मौके पर आज प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया. अपने इस संबोधित में वे महामारी के शुरूआती दिनों को याद कर भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि कोरोना से हमारी लड़ाई आत्मविश्वास और आत्मनिर्भर की रही है. इस मुश्किल लड़ाई से लड़ने के लिए हम अपने आत्मविश्वास को कमजोर नहीं पड़ने देंगे, ये प्रण हर भारतीय में दिखा.
भावुक होते हुए उन्होंने कहा कि सैकड़ों साथी ऐसे भी हैं जो कभी घर वापस नहीं लौटे. उन्होंने एक-एक जीवन को बचाने के लिए अपना जीवन आहूत कर दिया. इसलिए आज कोरोना का पहला टीका स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों को लगाकर एक तरह से समाज ऋण चुका रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे याद है एक देश में जब भारतीयों को टेस्ट करने के लिए मशीने कम पड़ रही थीं तो भारत ने पूरी लैब भेज दी थी. ताकि वहां से भारत आ रहे लोगों को टेस्टिंग की दिक्कत ना हो. भारत ने इस महामारी से जिस प्रकार से मुकाबला किया उसका लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है. केंद्र और राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय, हर सरकारी संस्थान, सामाजिक संस्थाएं, कैसे एकजुट होकर बेहतर काम कर सकते हैं, ये उदहारण भी भारत ने दुनिया के सामने रखा.
टीकाकरण अभियान को लेकर उन्होंने कहा कि इतने बड़े स्तर का टीकाकरण अभियान पहले कभी नहीं चलाया गया. यह अभियान इतना बड़ा है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि दुनिया के कई देशों की आबादी तीन करोड़ से कम है और भारत पहले ही चरण में तीन करोड़ लोगों का टीकाकरण कर रहा है.
उन्होंने कहा कि दूसरे चरण में 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण किए जाने का लक्ष्य है. जबकि दुनिया में महज भारत और अमेरिका सहित तीन ही देश ऐसे हैं जिनकी आबादी 30 करोड़ से अधिक है. कहा कि भारत का टीकाकरण अभियान इतना बड़ा है, यह भारत के सामर्थ्य को दर्शाता है. हमारे वैज्ञानिक विशेषज्ञ जब मेड इन इंडिया वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त हुए तभी उन्होंने इसके उपयोग की अनुमति दी.