केंद्र के नए कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि उन्हें तीनों कानून नहीं चाहिए. शनिवार को किसान नेताओं और सरकार के बीच हुई पांचवे दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही. अब अगली मीटिंग 9 दिसंबर को रखी गयी है. शनिवार को मीटिंग के दौरान तल्खी इतनी बढ़ी कि डेढ़ घंटे तक कोई बातचीत नहीं हो सकी.

जमूहरी किसान सभा के महासचिव कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि केंद्र सरकार हमारी मांगें सुनने के मूड में नहीं है और मुद्दे को भटका रही है. हमने अपनी मांगे दोहराई हैं कि हमें ये कानून चाहिए ही नहीं. ये जनता के खिलाफ हैं. उनपर कोई असर नहीं पड़ा.

संधू ने कहा कि सरकार ने किसानों से युवाओं और बुजुर्गों को वापस भेजने की गुहार लगाई भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाला ने कहा कि मीटिंग डेढ़ घंटे तक इसलिए रुकी रही क्योंकि गतिरोध ख़ासा बढ़ गया था.

उन्होंने कहा कि हमने सरकार को बताया कि उन्हें पता है कि उन्हें क्या चाहिए और हमें बताएं कि उन्हें क्या चाहिए. मंत्री मीटिंग छोड़कर चले गए वापस आए तो बताया 8 दिसंबर को मीटिंग है. हमने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि उस दिन भारत बंद है तो हम 9 दिसंबर को आएंगे.

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