किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई. साथ ही कृषि कानूनों पर रोक लगाए जाने के संकेत भी दिए. अदालत ने कृषि कानूनों को लेकर कमेटी की जरूरत बताते हुए कहा कि अगर समिति ने सुझाव दिया तो, वह इसके क्रियान्वयन पर रोक लगा देगा.

पीठ ने आर.एम.लोढ़ा सहित सभी पूर्व सीजेआई के नाम कमेटी के अध्यक्ष पद के लिए दिए. कहा कि सरकार उसे संयम पर भाषण न दे.

अदालत ने कहा कि हमारे द्वारा नियुक्त की जाने वाली कमेटी के जरिए कृषि कानूनों की समस्या के समाधान के लिए आदेश पारित करने का प्रस्ताव कर रहे हैं. वहीं केंद्र सरकार ने कहा कि कमेटी के लिए वह नाम सुझाएंगे. अब माना जा रहा है कि कल सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई आदेश दे सकता है.

अदालत सोमवार को कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं और दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर रोक लगाएंगे या हम लगाएं. अदालत ने कहा कि हम अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ नहीं हैं, आप बताएं कि सरकार कृषि कानून पर रोक लगाएगी या हम लगाएं. इसके बाद सरकार ने नए कृषि कानूनों पर रोक लगाने का विरोध किया. अटॉर्नी जनरल के.के वेणुगोपाल ने कहा कि कानून पर तब तक रोक नहीं लगाई जा सकती, जब तक वह मौलिक अधिकारों या संवैधानिक योजनाओं का उल्लंघन न करें.

जिसके बाद अदालत ने कृषि कानूनों को लेकर समिति की जरूरत को दोहराया और कहा कि अगर समिति ने सुझाव दिया तो, वह इस कानून के लागू होने पर रोक लगा देगा. एजी के.के वेणुगोपाल ने जब अदालत से समय मांगा तो कोर्ट ने कहा कि श्रीमान अटॉर्नी जनरल हम आपको बहुत समय दे चुके हैं, कृपया आप हमें संयम पर भाषण न दें. कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से केंद्र और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे वह बेहद निराश है.

चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि क्या चल रहा है? राज्य आपके कानूनों के खिलाफ बगावत कर रहे हैं. हम आपकी बातचीत को भटकाने वाली कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन हम इसकी प्रक्रिया से बेहद निराश हैं.

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