वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम कल शाम जे’ल से जमानत पर छूट गए. मनी लांड्रिंग के आरोप में पिछले 106 दिन से वो सलाखों के पीछे थे. जेल से बाहर आने के बाद पहली ही प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा.

उन्होंने पीएम की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि पीएम एकदम खामोश हैं, उन्होंने इसे अपने मंत्रियों पर छोड़ दिया है. अगर बीमारी की पहचान ही गलत होगी तो इलाज भी गलत ही होगा. सही इलाज के लिए मर्ज की पहचान होना बेहद जरूरी है.

चिदंबरम ने कहा कि पीएम ने इसे अपने मंत्रियों के पास धोखा और झांसा देने के लिए छोड़ दिया है. इसका परिणाम वही है, जैसा कि द इकोनॉमिस्ट ने कहा है कि सरकार अर्थव्यवस्था की ‘अक्षम प्रबंधक’ बन गई है. कृपया अरविंद सुब्रमण्यम की इस चिंता की ओर ध्यान दें कि संदिग्ध पद्धति के तहत 5% की दर वास्तव में 5 प्रतिशत नहीं, बल्कि लगभग 1.5 प्रतिशत से कम है. प्रधानमंत्री अर्थव्यवस्था पर असामान्य रूप से मौन रहे हैं.

उन्होंने कहा कि कृपया मेरे द्वारा उठाए गए सवालों पर ध्यान दें. आने वाले दिनों में, मैं बोलूंगा, साक्षात्कार दूंगा और उनमें से प्रत्येक पर विस्तृत रूप से लिखूंगा. संख्या की इस घटती स्थिति के साथ अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहतर नहीं है- 8, 7, 6.6, 5.8, 5 और अब 4.5 प्रतिशत से कम.

चिदंबरम ने कहा कि सरकार गलत है क्योंकि यह विचारशून्य है, बर्बादी के कारणों को खोजने में असमर्थ है, क्योंकि यह पीएमओ के नोटबंदी, जीएसटी, कर आतं’कवाद, रेगुलेटरी ओवरकिल, संरक्षणवाद और केंद्रीकृत नियंत्रण जैसी अपनी गलतियों का बचाव करने की जिद में लगी हुई है.

एनएसएसओ के अनुसार ग्रामीण खपत कम है. ग्रामीण मजदूरी घट रही है. विशेषकर किसानों के लिए पैदावार की कीमतें कम हैं. दैनिक वेतन भोगियों को महीने में 15 दिनों से अधिक समय तक काम नहीं मिल रहा है. मनरेगा की मांग बढ़ रही है. एफएमसीजी- टिकाऊ और गैर-टिकाऊ दोनों की बिक्री कम है. थोक भाव ऊपर हैं. सीपीआई बढ़ रही है. प्याज 100 रुपये किलो बिक रहा है. इनका क्या मतलब है.

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