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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के पहले टॉय फेयर का उद्घाटन वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि टॉय फेयर के इस अवसर पर हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इस ऊर्जा को आधुनिक अवतार दें, इन संभावनाओं को साकार करें.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर आज मेक इन इंडिया की डिमांड है तो हैंड मेक इन इंडिया की डिमांड भी उतनी ही बढ़ रही है. इसके साथ ही देश टॉय टूरिज्म की संभावनाओं को भी मजबूत कर रहा है.

पीएम मोदी ने कहा कि देश ने खिलौना उद्योग को 24 प्रमुख क्षेत्रों में दर्जा दिया है. National Toy Action Plan भी तैयार किया गया है. इसमें 15 मंत्रालयों और विभागों को शामिल किया गया है ताकि ये उद्योग competitive बने, देश खिलौनों में आत्मनिर्भर बनें और भारत के खिलौने दुनिया में जाएं.

उन्होंने कहा कि खिलौनों का जो वैज्ञानिक पक्ष है, बच्चों के विकास में खिलौनों की जो भूमिका है, उसे अभिभावकों को समझना चाहिए और अध्यापकों को स्कूलों में भी उसे प्रयोग करना चाहिए. इस दिशा में देश भी प्रभावी कदम उठा रहा है, व्यवस्था में जरूरी कदम उठा रहा है. हमारी परंपराओं, खानपान, और परिधानों में ये विविधतायें एक ताकत के रूप में नजर आती है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहां खिलौने ऐसे बनाए जाते थे जो बच्चों के चहुंमुखी विकास में योगदान दें. आज भी भारतीय खिलौने आधुनिका फैंसी खिलौनों की तुलना में कहीं सरल और सस्ते होते हैं, सामाजिक-भौगोलिक परिवेश से जुड़े भी होते हैं.

सिंधुघाटी सभ्यता, मोहनजो-दारो और हड़प्पा के दौर के खिलौनों पर पूरी दुनिया ने रिसर्च की है. प्राचीन काल में दुनिया के यात्री जब भारत आते थे, तो भारत में खेलों को सीखते भी थे, और अपने साथ लेकर भी जाते थे.

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