मोहर्रम का महीना शुरू हो चुका है. इस माह में शिया मुस्लिम समुदाय पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का शोक मनाता है. मोहर्रम महीने की 10 तारीख को देशभर में जुलूस निकाल ताजियों को कर्बलाओं में दफन किया जाता है.

इस बार कोरोना वायरस की वजह से सभी बड़े आयोजनों पर रोक लगी हुई है. उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में सरकार ने घरों में ही ताजिये रखने की इजाजत दी थी इसके बाद लोगों ने अपने घरों में ही ताजिये रख लिए. 30 अगस्त को मोहर्रम मनाया जाना है.

इसे लेकर शिया धर्मगुरू मौलाना कल्बे जव्वाद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि मोहर्रम के मौके पर ताजियों को दफन करने की इजाजत दी जाए. मौलाना कल्बे जव्वाद की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने मौलाना का हाईकोर्ट जाने की सलाह दे दी.

अदालत ने कहा कि हर राज्य के हालात अलग अलग हैं इसलिए हाईकोर्ट अपने राज्य के हालात के हिसाब से इजाजत दे सकते हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि कम से कम लखनऊ शहर में ही ताजियें को दफनाने की इजाजत दी जाए, इसपर भी कोर्ट ने कहा कि इसके लिए आप इलाहाबाद हाईकोर्ट का रूख करें.

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