केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए नए कृषि कानून का विरोध कर रहे किसान संगठनों के लिए आज का दिन बेहद राहत भरा साबित हुआ. किसानों के आंदोलन का असर ये हुआ कि देश की सर्वोच्य अदालत ने कृषि कानूनों के लागू होने पर अगले आदेश तक रोक लगा दी और बातचीत के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया.

कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने वाले एडवोकेट एमएल शर्मा ने अदालत को बताया कि किसानों ने कहा है कि वे अदालत द्वारा गठित किसी भी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि हम एक कमेटी बना रहे हैं ताकि हमारे पास एक स्पष्ट तस्वीर हो. हम यह तर्क नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी में नहीं जाएंगे.

अदालत ने किसानों की समस्या के समाधान के लिए जितेंद्र सिंह, प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी और अनिल शेतकारी की चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया. अदालत ने ये भी कहा कि ये कमेटी कोई आदेश पारित नहीं करेगी बल्कि सभी से बातचीत कर हमें एक रिपोर्ट सौंपेगी.

सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि ये हम कृषि कानून का अमल स्थगित करेंगे मगर अनिश्चितकाल के लिए नहीं. हमारा मकसद सकारात्मक माहौल बनाना है. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हम सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर अब चर्चा करेंगे, उसके बाद ही कुछ फैसला लेंगे.

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